बड़े बड़े ग़म है ज़माने में
चोटे बहुत है सभीको
सभी बंद है, अपने ही
कैद खानों में
कभी कभी नजाने क्यों
अपना ही ग़म औरो से
बड़ा महसूस होता है
नजाने क्यों हमें
ज़िन्दगी में
छोटी बातों पर, अफ़सोस होता हैं
क्या मैं इतना खोखला हो गया हूँ
के मैं जीने का ढंग,
या जीने का मतलब ही भूल चूका हूँ
डर के साये, उनको मैं कब तक देखा करूँगा
कब, कब मैं उनसे हसके बातें किया करूँगा
पता हैं मुझे, मुझे बादल कितने पसंद हैं
सुन्हेरे बादल, मुस्कुराते बादल
नीले आसमां मैं,
एक फ़रिश्ते के पंख जैसे मखमली बादल
और हाँ!
वोह बादलों के पीछे,
वोह चमकती हुई रौशनी,
वहीँ पर तो मुझे जाना हैं!
वोह चमकती हुई रौशनी और
मेरे छोटे छोटे ग़म।।
- मैं, अजिंक्य
चोटे बहुत है सभीको
सभी बंद है, अपने ही
कैद खानों में
कभी कभी नजाने क्यों
अपना ही ग़म औरो से
बड़ा महसूस होता है
नजाने क्यों हमें
ज़िन्दगी में
छोटी बातों पर, अफ़सोस होता हैं
क्या मैं इतना खोखला हो गया हूँ
के मैं जीने का ढंग,
या जीने का मतलब ही भूल चूका हूँ
डर के साये, उनको मैं कब तक देखा करूँगा
कब, कब मैं उनसे हसके बातें किया करूँगा
पता हैं मुझे, मुझे बादल कितने पसंद हैं
सुन्हेरे बादल, मुस्कुराते बादल
नीले आसमां मैं,
एक फ़रिश्ते के पंख जैसे मखमली बादल
और हाँ!
वोह बादलों के पीछे,
वोह चमकती हुई रौशनी,
वहीँ पर तो मुझे जाना हैं!
वोह चमकती हुई रौशनी और
मेरे छोटे छोटे ग़म।।
- मैं, अजिंक्य
gud one!
ReplyDeleteNice and meaningful 👍
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