अंतर्द्वीप की गहराइयाँ
चाहता हूँ तुम्हे हसाना
पर कभी रुला देता हूँ
नींद से जागने की कोशिश में
मेरा सपना अधुरा छोड़ देता हूँ
यह लम्बी कतारे है तलवारों जैसी
मुझे तो बस नौक पर चलना पसंद है
वक़्त के तकाजे से डरे या न डरे
जीना तो हर एक पल में है
दिल तो इंतज़ार में है
कब यह मौसम रूहानी हो जाए
नींद से में जाग जाऊ
और सपना भी पूरा हो जाए
शुरुआत न जाने कहा से थी
मगर अंत तो इसका तुम्ही हो
चाहा था तुम्हे हसाना
पर
तुम्ही कभी मुझे रुला देती हो
- अजिंक्य
चाहता हूँ तुम्हे हसाना
पर कभी रुला देता हूँ
नींद से जागने की कोशिश में
मेरा सपना अधुरा छोड़ देता हूँ
यह लम्बी कतारे है तलवारों जैसी
मुझे तो बस नौक पर चलना पसंद है
वक़्त के तकाजे से डरे या न डरे
जीना तो हर एक पल में है
दिल तो इंतज़ार में है
कब यह मौसम रूहानी हो जाए
नींद से में जाग जाऊ
और सपना भी पूरा हो जाए
शुरुआत न जाने कहा से थी
मगर अंत तो इसका तुम्ही हो
चाहा था तुम्हे हसाना
पर
तुम्ही कभी मुझे रुला देती हो
- अजिंक्य
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